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व्यंग्य/ सच का साथ
सबका विकास
‘’सच का साथ सबका विकास।’’ जी हाँ, यह
एक ग्रुप, आंदोलन या अभियान का नाम है। इस अभियान के लिए
लोगों की भर्ती की जा रही है । इसका कोई विज्ञापन अखबार में तो नहीं छपा लेकिन
सोशियल मीडिया पर खूब प्रचलित हुआ। इसकी शर्तें पढ़कर बहुत कुछ रोचक लगा। आप भी जान
लीजिये अगर आपको भी अभियान से जुडने में रुचि हो तो इसकी शर्तें गौर से पढ़ लीजिये
और उसके अनुसार आवेदन कर सकते हैं।
इसमें साफ-साफ कहा गया है कि अभियान
से जुडने के लिए पाँच वर्ष के लिए कांट्रेक्ट होगा। एक बार इस ग्रुप से जुडने के
बाद कोई भी व्यक्ति पाँच वर्ष तक किसी ऐसे ही समान ग्रुप में शामिल नहीं हो सकेगा।
वेतन योग्यता के अनुसार दिया जाएगा। एक कोर ग्रुप इसके कार्मिकों का वेतन तय करेगा
। इन कार्मिकों को एक व्यक्ति,एक विचारधारा,एक संस्था, एक संगठन के लिए काम करना होगा। वेतन
योग्यता के अनुसार बढ़ाया घटाया जा सकता है। वैसे वेतन उन्हीं का घटाया जाएगा जो
अपने काम को पूर्ण क्षमता के अनुरूप नहीं पाएंगे, काम के साथ
लापरवाह होंगे या जिनका इस ग्रुप से जुडने के बाद आचरण संदिग्ध होगा अथवा उसकी किसी
अन्य संगठन के प्रति अप्रत्यक्ष सहानुभूति होगी। जो लोग बहुत अच्छा आउट-पुट देंगे, उनकी सेलेरी ना सिर्फ बढाई जाएगी बल्कि उन्हें किसी राष्ट्रीय अथवा राज्य
स्तर के प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट कंपनी में अच्छे पैकेज पर नियोजित किया जा सकता है
अथवा राष्ट्रीय संगठन में बड़ा पद सौंपा जा सकता है।
प्रत्यक्षतः यह चापलूसी भरा काम दिखाई
देगा लेकिन कोई भी इसे चापलूसी के रूप में परिभाषित नहीं कर सकेगा। इस शब्द का
प्रयोग हर दृष्टि से वर्जित होगा। इसके लिए ‘’भक्त’’, ‘‘स्वामिभक्त’’, ‘’अनुयायी’’ या ‘’समर्थक’’ शब्द भी इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। ग्रुप का सूत्र वाक्य ‘’सच का साथ सबका विकास’’ रहेगा। शाश्वत सत्य की बात
कोई नहीं करेगा बल्कि सत्य की परिभाषा ग्रुप तय करेगा और उसे ही सत्य मानकर उसका
प्रचार-प्रसार करना होगा।
इस अभियान से जुडने वालों को सत्यवान नाम
दिया जाएगा जैसे लायन्स क्लब से जुडने वाले लॉयन और रोटरी क्लब वालों को रोटेरियन कहा
जाता है। सत्यवान का जीवन में सत्य से वास्ता रखना जरूरी नहीं बल्कि ग्रुप के
कामों को सत्य सिद्ध करना ही ध्येय रहेगा ताकि समाज में एक संदेश जाए। यह कार्य
उसे अपनी अंतिम सांस तक करना है और अगर सांस निकल भी जाए तो उसके परिवार को इसका
अच्छा मुआवजा दिया जाएगा। किसी को अगर यह लगे कि वह जो काम करने जा रहा है वह
नैतिक रूप से सही नहीं है तो भी उफ़्फ़ नहीं करेगा क्योंकि सही-गलत का निर्धारण करना
उसका नहीं संगठन का काम है। वह एक ऐसे संगठन से जुड़ा है जो नैतिक-अनैतिक की
परिभाषा स्वयं गढ़ती है और वही अंतिम सत्य माना जाता है। सत्यवान को यह भी सोचने का
अधिकार नहीं है कि ग्रुप जिस विचार को प्रचारित-प्रसारित करना चाहता है उसमें आमजन
की भलाई है या नहीं, क्योंकि ग्रुप में जो शीर्षस्थ पदों पर बैठे हैं उनसे बेहतर
देश, समाज और आमजन के लिए दूसरा कोई सोच ही नहीं सकता। हम सब
उसके फोंलोवर हैं और कोलोब्रेटर बनने का प्रयास नहीं करें।
सत्यवान के रूप में जो भी ’सच का साथ सबका विकास’’
ग्रुप जॉइन करेंगे उन्हें पूर्ण निष्ठा से समर्पित होने की आवश्यकता
है क्योंकि उनके हित चिंतन का दायित्व इस ग्रुप का है।