सम्पादकीय
कब
होंगे नशे के कारोबार से मुक्त !
सोवियत संघ के महान ऋषि और विचारक टालस्टाय ने अपने
अनुभवों के आधार पर लिखा है, ‘तम्बाकू का सेवन शराब से भी बुरा है। धूम्रपान
का व्यसन अंतरात्मा की आवाज को दबाकर मनुष्य को दुष्कर्मों की ओर धकेलता है।धूम्रपान
करने वाले सैनिकों की लड़ने की शक्ति कम हो जाती है। उनकी स्थिरता, आत्मविश्वास तथा साहस में कमी आ जाती है।’ इधर हम
हैं कि तम्बाकू के सेवन से अपनी जीवनलीला को शनैः-शनैः समाप्त करने पर तुले हुए हैं।
सरकारें तम्बाकू बेचकर अपना खजाना बढाते यह दावा करती हैं कि वे इस धन से विकास कार्य
करवाती हैं।आमजन के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करके वे कौन सा विकास कार्य करवा रही हैं,
यह समझ से परे है।सरकारें कल्याणकारी होने का दावा करती थकती नहीं, लेकिन इसमें तो
किसी का कल्याण निहित नहीं हैं।दुर्भाग्य से नशे का कारोबार खूब फल-फूल रहा है और
हमारी युवा पीढ़ी को तेजी से लील रहा है। हमारी जनशक्ति को तबाह कर रहा है। नशा कोई
भी हो, अच्छा तो हर्गिज नहीं हो सकता बल्कि अनेक प्रकार की विकृतियां और वृत्तियां
ही पैदा करता है। वह कुमार्ग की ओर ही ले जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो नब्बे
प्रतिशत अपराध नशों के सेवन के कारण होते हैं।नशा
निर्णय लेने की क्षमता नष्ट कर देता है।तम्बाकू से मनुष्य की अपराधी वृत्ति प्रबल
हो उठती हैं और वह अपराधकर्म की ओर प्रवृत होने लगता है। तम्बाकू का सेवन करने
वालों के स्वभाव में क्रोध की मात्रा बढ़ जाती है।तम्बाकू में निकोटीन, कोलटार, आर्सेनिक और कार्बन मोनाक्साइड जैसे चार
प्रकार के विष हैं। इन विषों का शरीर में पहुंचना स्वाभाविक है।नशे का तो धर्म ही
मनुष्य को अमृतत्व से मृत्यु की ओर ले जाना है। नशे से बुद्धि कुंद-मंद होने लगती है।उनके
लिए उन्नति का अवसर पहचान सकना, उसकी योजना बना सकना,
उसके लिए उपयुक्त मार्ग निकाल सकना और उस पर अपनी कर्म-शक्ति को
नियोजित कर सकना, बुद्धि-तत्व की कुशाग्रता से ही संभव हो
सकता है।तम्बाकू हर प्रकार से तामसी पदार्थ है। इसके सेवन से बुद्धि-तत्व को हर
हाल में धक्का पहुंचता है। मनुष्य को अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए जिस
बौद्धिक कुशाग्रता, एकाग्रता, अव्यग्रता, स्फूर्ति, तत्परता एवं स्थिरता की आवश्यकता होती है,
तम्बाकू का सेवन उसमें सदैव बाधक बनता है।
अपने जीवन में घटित होने वाले इस सत्य को उजागर
करते हुए गवर्नर सैलिवान ने एक स्थान पर कहा है- ‘तम्बाकू का सेवन मुझे सुस्त तथा जड़
बनाये बिना न रहा। मेरी बुद्धि की विलक्षणता जाती रही, जिससे
सुविचारों को व्यक्त कर सकने की मेरी शक्ति का नाश हो गया।नशों के सेवन से मनुष्य को
आलस्य, प्रमाद, अस्थिरता, व्यग्रता के विकार घेर लेते हैं।तम्बाकू के प्रभाव से मनुष्य का तन,
मन और शरीर निरन्तर जर्जर होते रहते हैं।प्रगति के लिए पहली शर्त है,
कि अपने तन-मन और बुद्धि को निर्विकार रखा जाये।देश और दुनिया में
नशे का कारोबार कुछ लोगों के लिए सोने की टकसाल बना हुआ है तो ज्यादातर लोगों के
लिए ये अभिशाप और समय से पूर्व मौत का निमंत्रण है। देश की राजधानी दिल्ली दुनिया
में नशे के काले कारोबार का सबसे बड़ा अड्डा बनती जा रही है। दस मुल्कों की सबसे बड़ी जांच में ये खुलासा हुआ है कि दुनिया के बड़े से
बड़े ड्रग्स सिंडिकेट्स दिल्ली और पंजाब के हवाला कारोबारियों के जरिए अरबों रुपये
का लेन-देन कर रहे हैं। बीते दिनों देश की सर्वोच्च अदालत ने देश के नौनिहालों में
तम्बाकू, ड्रग्स, भांग,
सूंघने वाले मादक पदार्थों और नशे की खतरे की हद तक बढ़ रही लत पर
गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए केन्द्र सरकार, सभी राज्य
सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जबाव मांगा। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एच. एल. दत्तू की पीठ ने यह नोटिस हाल
में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ‘बचपन बचाओ
आंदोलन’ के पुरोधा कैलाश सत्यार्थी की जनहित याचिका पर जारी
किया। उन्होंने कहा है कि यह स्थिति
बहुत भयावह हो गई है,लेकिन सरकारों द्वारा इस पर अंकुश लगाने की खातिर प्रभावी
प्रयास नहीं हो रहे हैं। देश में करोड़ों रुपये कीमत के
नशीले पदार्थों की बरामदगी रोजमर्रा की बात हो गई है। इसके बावजूद इस कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।हाल में एक नए तथ्य का खुलासा हुआ कि देश में आतंकी गतिविधियों
में संलिप्त आतंकियों का पेट पालने के लिए सीमा पार बैठे उनके आका देश में
चोरी-छिपे ड्रग्स भेज रहे हैं।आतंकियों को फंडिग
हेतु ड्रग्स का कारोबार मुख्य जरिया बन गया है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान से मादक पदार्थों की खेप की मात्रा हर
साल तेजी से बढ़ रही है।पाकिस्तान से अफगान निर्मित
हजारों किलो हशीश देश में लायी जाती है। देश में 44
करोड़ बच्चों में 24 करोड़ की आबादी किशोर वय है, जो कुल आबादी का 24 प्रतिशत
है। इस याचिका की मानें तो
पूर्वोत्तर राज्य मेघालय, नगालैंड, सिक्किम
और उत्तराखंड में स्थिति सबसे बुरी है। वहां 90 से 96 प्रतिशत किशोर
तम्बाकू के आदी हैं। दिल्ली में यह प्रतिशत 69 है।शराब पीने वाले किशोरों की तादाद सबसे ज्यादा कर्नाटक में (88
फीसद) है।आंध्र का नम्बर
दूसरा जबकि हरियाणा और चंडीगढ़ में यह आंकड़ा 80 फीसद
है। भांग के आदी किशोरों की तादाद
सबसे ज्यादा 70 फीसद उत्तराखंड में है। हरियाणा में यह 63
फीसद और दिल्ली में 34 फीसद ही है। हेरोइन के सबसे ज्यादा 19 फीसद
आदी युवक पंजाब में, जबकि दिल्ली और उत्तरप्रदेश में यह आंकड़ा 10 फीसद है। इंजेक्टीबल नशे के शिकार
युवकों में सबसे ज्यादा तादाद महाराष्ट्र, राजस्थान
और पंजाब की है। देश में गांजा पीने वालों की
तादाद करीब 90 लाख है और करीब 90 हजार किसान इसे पैदा कर
रहे हैं।
सभी जानते हैं कि
राजस्थान में तम्बाकू और अफीम का सेवन सिरदर्द बना हुआ है। प्रदेश में तम्बाकू
जनित उत्पादों से सरकार को 750 करोड़ की आमदनी होती है। इसके विपरीत सरकार को इनसे
होने वाले नुकसानों की भरपाई पर डेढ़ हजार करोड़ रूपये से ज्यादा धन खर्च करना पड़
रहा है। कुल मिलाकर ये कारोबार जहां स्वास्थ्य और सरकार दोनों दृष्टि से घाटे का सौदा
है जिस पर न केवल अंकुश लगना चाहिए बल्कि इसे पूरी तरह बंद किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि तम्बाकू सेवन से कैंसर, टीबी और रक्त विकार जैसी घातक बीमारियां पैदा
हो जाती हैं और बड़ी संख्या में जानें चली जाती है। इनकी पीड़ा वे ज्यादा भोगते हैं
जिनके परिवारों में कोई कमाने वाला नहीं बचता और जीवन पहाड़ जैसा कठोर और नरक बन
जाता है। कैंसर, टीबी, सांस सम्बन्धी लोगों के उपचार पर सरकार 500 करोड़ रुपये,
अस्थमा रोगों के उपचार पर पौने दो सौ करोड़ रुपये, हृदय वाहिनी रोगों के उपचार पर
130 करोड़ रुपये, सांस की तकलीफ से ग्रस्त रोगियों के उपचार पर 125 करोड़ रुपये और
कैंसर रोगियों पर 75 करोड़ रुपयों से
ज्यादा धन खर्च करती है।ऐसे में तम्बाकू और धूम्रपान सम्बन्धी नशों के साथ क्यों
नहीं अन्य नशों के कारोबार पर बिना कोई देरी किये रोक लग जानी चाहिए।हमारी सरकारें
आखिर किस घडी का इंतजार कर रही हैं जबकि वे पूर्ण बहुमत से निर्वाचित हैं!अनेक
राज्यों में ऐसे प्रतिबंध पहले से ही लगे हुए हैं।अब समय आ गया है जब नशा कारोबारियों
की प्रभावशाली लॉबी के दबाव से मुक्त होकर देशहित में कड़े फैसले लिए जायें अन्यथा
आने वाली पीढियां हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी।
फारूक आफरीदी
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