शनिवार, 6 दिसंबर 2014

प्रदेश में राशन कार्डों को लेकर ऊहापोह की स्थिति



प्रदेश में राशन कार्डों को लेकर अभी भी ऊहापोह की स्थिति
       प्रदेश में पिछले एक डेढ़ साल से नए डिजिटल राशन कार्डों का इंतजार कर रहे उपभोक्ताओं को अभी तक राशन कार्ड प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं और ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है । इस कारण उपभोक्ताओं को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्षों पुराने राशन कार्ड कट-फट या गल गए या उपयोग लायक नहीं रह गए हैं । खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग समय-समय पर यह दावा करता रहा है कि अब जल्दी ही नए राशन कार्ड मुहैया करवा दिये जाएंगे, लेकिन कई बार समय सीमा निकल गयी और स्थिति जस की तस बनी हुई है। ताजा जानकारी के अनुसार सितंबर अंत तक सभी राशन कार्ड बनकर तैयार करने का दावा किया गया था जो पूरा नहीं हुआ और अब दीपावली तक भी हो जाए तो बड़ी बात है। इसकी वजह यह है कि अभी भी लाखों उपभोक्ताओं के राशन कार्ड बनने शेष हैं। 
       प्रदेश भर में कुल एक करोड़ 76 लाख उपभोक्ताओं के राशन कार्ड बनने हैं और विभाग का दावा है कि इस दिशा में 84 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। विभाग का दावा भले कुछ भी हो लेकिन हक़ीक़त कुछ दूसरा ही पहलू बयान करती है। राज्य के अधिकांश जिलों में राशन बनाने का 60-65 प्रतिशत से अधिक काम नहीं हो पाया है। विभाग ने राशन कार्ड बनाने वाली एजेंसियों पर शिकंजा कसने के लिए विलंब शुल्क के रूप में जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया है, फिर भी बात बन नहीं रही।
       इधर दूसरी ओर जो राशन कार्ड बन गए हैं उनमें से केवल 30-35 प्रतिशत भाग्यशाली उपभोक्ता हैं जिनके राशन कार्डों में कोई त्रुटि नहीं है वरना जो राशन कार्ड बनकर आए हैं उनमें गलतियों की भरमार है। सेक्टर सुपरवाइजरों को इनके वितरण की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है लेकिन राशन कार्डों  की गलतियों के कारण वितरण संभव नहीं  हो पा रहा । खास तौर से इनमें फोटो किसी का तो नाम किसी का,पति का नाम कुछ और तो पत्नी का कुछ और, लिंग,आयु और पतों की गलतियाँ भी खूब हैं।रसद विहग का कहना है कि राजधानी जयपुर में आवेदन करने वाले सभी उपभोक्ताओं के राशन कार्ड तैयार करवाकर सिविल डिफेंस को सौंप दिये गए हैं । सिविल डिफेंस सेक्टर वार्डनों से कार्ड बंटवाने का काम पूरा हो चुका है जबकि हक़ीक़त यह है कि लोगों ने अपने कार्डों में भरी गलतियों को देख सिर पकड़ लिया है और सेक्टर वार्डनों को कोप भाजन बनना पड़ रहा है। इन कार्डों के सुधार के लिए कलेक्ट्रेट में स्थायी शिविर लगाया गया है । यहाँ प्रत्येक सेक्टर के लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित किया गया है। जब राजधानी की स्थिति यह है तो जिलों की स्थिति क्या होगी, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। ।
       अभी भी राशन कार्डों को सुधार कर उपभोक्ताओं तक अंतिम रूप से पहुँचाने की तिथि का निर्धारण नहीं होना एक विडम्बना ही है।इससे ऐसा लगता है कि जिन एजेंसियों को यह  काम सौंपा गया उनके पास अनुभवी और शिक्षित जनशक्ति का अभाव रहा है।गौरतलब है कि पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने डिजिटल राशन कार्ड बनवाने के लिए सितम्बर, 2012 में टेंडर आमंत्रित किए थे। प्रदेश के 33 जिलों में जिन 11 फर्मों को यह काम मिला, उन्हें राशनकार्ड फरवरी, 2013 तक वितरित करने थे, लेकिन दो साल पूरे होने तक काम पूरा नहीं हुआ जबकि नई सरकार को काम संभाले लगभग एक वर्ष होने जा रहा है। इस स्थिति में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र उपभोक्ताओं को भी लाभ से वंचित होना पड़ रहा है ।   
       वर्तमान राज्य सरकार ऐसा मानती है कि पिछली सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम जल्दबाजी में लागू किया और मापदंडों का पूरा ध्यान नहीं रखा।  यह भी कहा जा रहा है कि इसमें पात्र व्यक्ति लाभान्वित नहीं हुए और कई अपात्रों को शामिल कर लिया गया। अगर ऐसा हुआ है तो दोषी विभागीय अधिकारियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए। आवश्यकता इस बात की है कि प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिकार कानून के तहत पात्र सभी व्यक्तियों को सार्वजनिक राशन एवं खाद्य सामग्री  का यथा समय वितरण किया जाए।
       खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के साथ ही प्रदेश में 2000 अतिरिक्त उचित मूल्य की दुकानें प्रारम्भ किये जाने का भी निर्णय लिया गया था। निर्धारित यूनिट एवं राशन कार्डों  की संख्या के नोर्म्स पूर्ण होने पर नई उचित मूल्य की दुकान खोली जाने का प्रावधान है। इसलिए भी जरूरी है कि राशन कार्ड तैयार कर जल्द से जल्द उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराये जाएँ । समाज के कमजोर, पिछड़े, दलित, वंचित वर्गों सहित,निशक्तजन, वृद्धजन, विधवाओं आदि के लिए राशन कार्डों की सर्वाधिक उपयोगिता है। इसमें अब और विलंब को टाला जाना चाहिए। इसमें विलंब उनके अधिकारों का हनन ही होगा। राशन कार्ड परिवारों के लिए एक पहचान पत्र की भूमिका भी निभाता है।
       यहाँ यह कहना प्रासंगिक होगा कि राजधानी जयपुर में हर महीने अपने काम की तलाश में श्रमिकों का निरन्तर आना-जाना लगा रहता है।केन्द्र और राज्य कर्मचारियों के स्थानांतरण से भी राशनकार्डों में अपेक्षित सशोधन करने होते हैं। इसी प्रकार उच्च शिक्षा का हब होने के कारण यहाँ बड़ी संख्या में विद्यार्थी आते हैं और उन्हें भी निजी होस्टलों में रहने के कारण राशन कार्ड की आवश्यकता रहती है । इसी तरह कतिपय परिवारों के सदस्यों में समय समय पर संशोधन भी होता रहता है । ऐसे में जरूरी है कि रसद विभाग में इन कार्यों के लिए एक प्रकोष्ठ का स्थायी रूप से गठन किया जाये जो इस तरह के प्रकरणों को यथा समय बिना किसी अवरोध के निपटा सके।  
 -फारूक आफरीदी

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