शनिवार, 6 दिसंबर 2014

तेल एवं प्राकृतिक गैस उपयोग की कारगर रणनीति बने


तेल एवं प्राकृतिक गैस उपयोग की कारगर रणनीति बने  

       तेल एवं प्राकृतिक गैस के भंडारों के मामले में राजस्थान देश का सिरमौर राज्य बनता जा रहा है। ऐसा माना जा रहा  है कि बाड़मेर में चलाया जा रहा सघन ड्रिलिंग का अभियान देश के अन्य सभी अभियानों से बड़ा है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस मरुभूमि के गर्भ  में  विद्यमान तेल एवं प्राकृतिक गैस के संभावित भंडारों 4.6 अरब से बढ़कर 7 अरब  बैरल तक होने जा रहा है। यह पिछले चार महीनों में हुई नई खोज का नतीजा है। यहाँ कैयर्न एनर्जी लंबे समय से खुदाई का काम कर रही है और अब तक के सारे नतीजे उत्साहजनक रहे हैं।
       कैयर्न ने अब तक तेल कि खोज को ही अधिक महत्व दिया है जो देश में तेल संकट, तेल कि बढ़ती कीमतों और तेल के अंतर्राष्ट्रीय आयात को देखते हुए जरूरी भी था किन्तु प्राकृतिक गैस का घरेलू और व्यावसायिक उपयोग भी देश में तेजी से बढ़ रहा है। गैस के निरंतर बढ़ते दामों ने भी जीना मुहाल कर रखा है। गैस पर सरकार अनुदान दे रही है । यदि पर्याप्त मात्रा में गैस उपलब्ध होने लगे तो इसके दामों पर नियंत्रण किया जा सकता है और सरकार को अनुदान देने से छुटकारा मिल जाएगा वहीं सरकार के राजस्व में भी आशातीत वृद्धि होगी।

       गौरतलब है कि पड़ौसी देश पाकिस्तान के घरेलू उपभोक्ताओं को पिछले तीस-पैंतीस वर्षों से पाईप  लाईन से एलपीजी गैस की आपूर्ति की जा रही है। इसके विपरीत गैस भंडारों के निकट होते हुए भी राजस्थान प्रदेश  में इसकी शुरुआत तो दूर की बात है,इस प्रकार की कोई योजना नहीं बनी। अब पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक मण्डल द्वारा सोचा जा रहा है कि राज्य के एक दर्जन प्रमुख शहरों सिरोही, उदयपुर, राजसमंद,  पाली, जोधपुर, भीलवाडा, नसीराबाद, जयपुर, सीकर और अलवर को पाईप लाईन के जरिये एलपीजी गैस मुहैया कराई जाये।

       बाड़मेर के गैस भंडारों के उपयोग के लिए पश्चिमी राजस्थान में सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन ग्रिड को बाड़मेर, जालोर,सांचोर,बालोतरा और जैसलमर में भी गैस आपूर्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। नियामक मण्डल ने कोटा औद्योगिक शहर कोटा के उपभोक्ताओं को गैस  आपूर्ति के लिए गैस अथोरिटी आफ इंडिया गेल को अधिकृत करने के साथ ही शहरी क्षेत्रों में  गैस आपूर्ति के लिए गुजरात सरकार के उपक्रम जीएसपीएल लिमिटेड को  भी अधिकृत किया है। प्रारम्भ में इस परियोजना में भागीदार एजेंसियों द्वारा महेसाणा-भटिंडा प्रकृतिक गैस पाईप लाईन का उपयोग किए जाने की योजना है।  
       ज्ञातव्य है कि पश्चिम राजस्थान में तेल और गैस भंडारों की खोज के बाद अब रेयर अर्थ खनिजों के भंडार मिले हैं। बाडमेर जिले के सिवाना, कन्हाई एवं सारनू क्षेत्रों में रेयर अर्थ खनिजों की खोज की है और इसे ठोस शैलों में देश का पहला भंडार माना है। रेयर अर्थ खनिज अन्य खनिजों की तुलना में अल्पमात्रा में पाए जाते हैं। इनमें आमतौर पर ईरेडियम, सेरियम, यूरोपियम, यूरेनियम आदि खनिज शामिल है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के भूविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. एससी माथुर के अनुसार रेयर अर्थ खनिजों की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों को देखते हुए इस विशाल खनिज भंडार से राज्य सरकार को तेल एवं गैस से मिलने वाली रॉयल्टी की आय के बाद इन खनिजों से बड़ी आय होने वाली है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस खोज की बदौलत आने वाले समय में भारत भी चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा नजर आएगा । वर्तमान में रेयर अर्थ खनिजों के उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा नम्बर आता है।
       केयर्न इंडिया के मुताबिक राजस्थान ब्लॉक में तेल के बाद  प्राकृतिक गैस का भी उल्लेखनीय भंडार होने का अनुमान है। कंपनी का मानना है कि क्षेत्र में 1,000 से 3,000 अरब घनफुट गैस का भंडार है जिसमें से आधे से अधिक गैस निकाली जा सकती है। केयर्न ने अब तक राजस्थान में 36 खोजें की हैं जिनमें भूमि स्थित मंगला का सबसे बड़े तेल क्षेत्र भी शामिल है। कंपनी को रागेश्वरी क्षेत्र में गैस का भंडार भी मिला है।हालिया उत्खनन ड्रिलिंग और रागेश्वरी (डीप) गैस क्षेत्र से संकेत मिलता है कि रागेश्वी डीप, गुडा डीप और गुडा दक्षिण में ज्यादा गैस भंडार है।कंपनी ने अपनी ताजा रिपोर्ट  में कहा है कि रागेश्वरी डीप गैस क्षेत्र में 1,000- 3,000 अरब घन फुट गैस भंडार है जिसमें से 50 प्रतिशत से अधिक का दोहन किया जा सकता है। केयर्न फिलहाल रागेश्वरी डीप गैस क्षैत्र से 80 से 90 लाख घनफुट प्रतिदिन गैस की बिक्री करती है जिसे वह चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़ाकर 2.2 करोड़ घनफुट प्रतिदिन और 2015-16 तक और बढ़ाकर 9 करोड़ घनफुट करने की योजना पर काम कर रही है।
गैस भंडार की संभावना के मद्देनजर 30 इंच पाइप लाइन बिछाने की योजना बनाई गई है ताकि इसे गुजरात में मौजूदा गैस ग्रिड से जोड़ा जा सके। कुल मिलाकर 180 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने की योजना है। कंपनी इस बात से बड़ी उत्साहित है कि फिलहाल जो उत्खनन हो रहा है वहां 15-20 प्रतिशत गैस संसाधन होने की संभावना है।कंपनी फिलहाल रागेश्वरी क्षेत्र में अपतटीय कुएं का परीक्षण कर रही है और वित्त वर्ष के शेष हिस्से में और 6 कुओं के उत्खनन और परीक्षण की योजना है। रागेश्वरी गहरे गैस क्षेत्र में सुविधाओं के उन्नयन और पाइप लाइन बिछाने में 20 करोड़ डॉलर निवेश की योजना है।  
        पिछली काँग्रेस सरकार ने राजस्थान में पेट्रोलियम और गैस भंडारों की विपुलता को देखते हुए इनके दोहन और तकनीकी अध्ययन के लिए दक्ष जन शक्ति तैयार करने  के वास्ते अलग से विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय की क्रियान्विति से भविष्य में बाड़मेर में पेट्रोलियम रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल्स कॉम्पलेक्स के लिये तकनीकी योग्यता वाले प्रशिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता पूरी हो सकेगी और युवाओं को रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।वर्तमान में देश में पेट्रोलियम एवं ऊर्जा क्षेत्र में तीन विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एण्ड एनर्जी स्टडीज, देहरादून, पण्डित दीनदयाल उपाध्याय पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, गांधीनगर एवं इण्डियन स्कूल ऑफ माइन्स, धनबाद शामिल है।   .
       यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज(यूपीईएस) देहरादून  पिछले 10 साल से भारतीय और विदेशी उद्योगों को पेट्रोलियम, एनर्जी और इन्फ्रास्ट्रक्चर में विशेषता रखने वाले ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स उपलब्ध करवा रही है। इस यूनिवर्सिटी का पेट्रोलियम सेक्टर की प्रमुख कंपनियों जैसे ओएनजीसी, ऑयल, केयर्न, एचपीसीएल, आईओसी और रिलायंस जैसी नामी-गिरामी कंपनियों के संपर्क में है। 

       यहाँ स्मरण कराना आवश्यक होगा कि वर्तमान प्रधान मंत्री मोदी ने इसी वर्ष चौदह अप्रेल  को संसदीय चुनाओं के दौरे के समय बाड़मेर जिले के पचपदरा में कहा था कि "मुझे पता है कि आप कितने परिश्रमी हैं और आपके लिए पानी कितना जरूरी है। हम नदियों को जोड़ना चाहते हैं। हम नदियों को जोड़ने का अटल बिहारी वाजपेयी का सपना पूरा करना चाहते हैं। यह देश को नई मजबूती दे सकता है।"गुजरात के तत्कालीन  मुख्यमंत्री ने कहा था- "पानी, गैस और पेट्रोल इस प्रदेश को देश का गौरव बना सकता है। यही हमारी वास्तविक प्राथमिकता है।'' प्रधान मंत्री कि वास्तविक प्राथमिकताओं को अब तेजी से अमल में लाने का समय आ गया है इसलिए प्राकृतिक गैस और तेल से राजस्व जुटाने तक ही सीमित रहने की बजाय इनके दोहन एवं उपयोग की रणनीति बनाकर कारगर ढंग से लागू करनी होगी। सवाल यह है की इन प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल से ज्यादा समय तक वंचित नहीं रखना चाहिए।  इससे आमजन की परेशानियाँ भी दूर होंगी और उन्हें इनके इस्तेमाल पर अधिक खर्च से भी छुटकारा मिल सकेगा ।  
 --फारूक आफरीदी

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